Saturday 25 June 2016

खाना खाने के नियम

सखियों, भोजन करने के अपने नियम कानून होते हैं लेकिन जब से फास्ट फूड का जमाना आया है, क्या खाना है, कैसे खाना है, कब खाना है, कितना खाना है, इस बारे में लोगों को कुछ खास पता नहीं है । वे खीर के साथ दही भी खा लेते है, रात के खाने के बाद आइसक्रीम का भी लुत्फ उठा लेते हैं, घी और शहद का मिश्रण भी इस्तेमाल कर लेते हैं आदि आदि ।

भोजन सिर्फ पेट भरने के लिये ही नहीं खाना चाहिये । जो मिले उसी से काम चल गया के बजाये संतुलित और पोषण से भरपूर भोजन करना चाहिये । भोजन में स्वाद होना चाहिये । इसके अलावा भोजन में हमें छः रसों को शामिल करना चाहिये । सिर्फ एक या दो रस का सेवन बीमारी देगा ।

खाना खाने के कुछ सर्वमान्य नियम ये हैं:

1.    कभी अपनी पाचनतंत्र की सीमा का उल्लंघन नहीं करना चाहिये । हर व्यक्ति के भोजन करने की अपनी सीमा होती है । अगर आप उससे कम भोजन करेंगे तब भी नुकसान होगा और उससे ज्यादा करेंगे तब भी, क्योंकि भोजन करने के बाद भोजन पचने में और उससे रस बनने में समय लगता है । अगर आप थोड़ी थोड़ी देर पर कुछ न कुछ खाते रहेंगे तब भोजन पचने की वह प्रणाली/प्रक्रिया बाधित होगी और बदले में फैटी लीवर, मोटापा या गैस, अजीर्ण, एसिडिटी की समस्या सामने आयेगी ।

2.    अगर आपकी भूख चार रोटी की है तब आप तीन रोटी ही खायें । भर पेट या ठंूस कर खाना खाने से पाचनतंत्र पर भार पड़ता है और खाना ठीक से नहीं पच पाता और यहीं से पेट की बीमारियों की शुरूआत होती है ।

3.    भोजन करने की छः क्रियायें होती हैं । काटना, चबाना, चाटना, चूसना, पीना, सुड़कना । कोशिश यह करनी चाहिये कि भोजन के तत्व ऐसे हों कि ये सारी क्रियायें उसमें शामिल हो सकें ।

4.    खाना खूब चबा चबा कर खाना चाहिये । देर तक चबाने से भोजन पिसता है और लार मिक्स होते ही पाचन की पहली क्रिया शुरू हो जाती है । इसके अलावा देर तक चबाने से जिव्हा को स्वाद की पूर्ति होती है और वह तृप्त होती है ।

5.    बीच बीच में व्रत या उपवास करके हम अपने पाचनतंत्र को आराम दे सकते हैं जिससे की पेट की मशीन रिलेक्स हो कर फिर ठीक से काम करने लगे ।

6.    भोजन हमेशा मौसम के अनुसार करना चाहिये । मौसमी फल, सलाद, सब्जियों को ही भोजन में शामिल करना चाहिये । बेमौसम के फल, सलाद और सब्जियों में केमिकल प्रिजरवेटिव्स मिले रहने की संभावना होती है जो की शरीर में जाकर दूसरे रोगों की शुरूआत करते हैं।

7.    सब्जी, फल या सलाद खरीदने का नियम यह है कि हमेशा खरीदतें वक्त देखें कि उनमें से प्राकृतिक सुगंध आ रही है, वे सड़े गले नहीं हैं, कोयी दुर्गंध तो नहीं आ रही है। उनका आकार प्रकार, रंग रूप वैसा ही है जैसा होना चाहिये ।

8.    बेमोसम के फल या सब्जी नहीं खानी चाहिये । अगर आपको लगता है कि इन पर पेस्टिसाइड का छिड़काव किया गया है तब सब्जियों, सलाद और फलों को कुछ देर तक पानी में डुबा कर रखे जिससे कि पेस्टिसाइड्स का प्रभाव कम हो जाये । काट कर देर से रखी हुयी सब्जी का प्रयोग न करें क्योंकि ऐसे सब्जियों के एंटीऑक्सीडेंट्स तेजी से नष्ट होने लगते हैं ।

9.    नॉनस्टिक कोटिंग भी केंसर का कारण बनती है इसलिये इनका प्रयोग न करें । प्रेशरकुकर में खाना गल जाता है, पकता नहीं है जिसकी वजह से एसिडिटी की दिक्कत शुरू हो जाती है ।

10.    दूध हमेशा देशी गाय का पीने का प्रयास करें और दही भैंस के दूध की अच्छी होती है। सावन के महीने में दूध का सेवन कम करना चाहिये बल्कि इसकी जगह छांछ या दही का सेवन करना चाहिये ।

11.    दूध का सेवन अंकुरित अन्न, ककड़ी, कद्दू, मीठे फल, नमकीन, तरबूज, खरबूज, जामुन, मूली, प्याज, लहसुन आदि के साथ नहीं करना चाहिये ।

12.    जाड़े के मौसम में दही का सेवन नहीं करना चाहिये । जिन्हें वात और पित्त की समस्या है उन्हें भी दही का सेवन नहीं करना चाहिये ।  खट्टी दही का सेवन कभी नहीं करना चाहिये । रायता या दही बड़ा या दही के साथ खीर नहीं खानी चाहिये । दही जमाने के लिये चांदी का बर्तन मिल जाये तो उत्तम होगा ।

13.    ठंडे भोजन के बाद गर्म चीज खा सकते हैं लेकिन गर्म चीज खाने के बाद ठंडी चीज नहीं खानी चाहिये ।

14.    आइसक्रीम का सेवन दोपहर या शाम को कर सकते हैं लेकिन रात का खाना खाने के बाद इसे नहीं खाना चाहिये ।

15.    सलाद अच्छी तरह धो कर खाना चाहिये । होटल या पार्टी में सलाद नहीं खाना चाहिये क्योंकि यहॉं पर सलाद कई घंटे पहले काट कर रखा गया होता है ।

16.    सफेद नमक की जगह पीला नमक खायें । नमक पका हुआ होना चाहिये । अगर सलाद पर नमक डालना हो तब काला नमक,  सैंधा नमक या भुना नमक ही डालें । अगर स्किन प्रॉबलम है तब नमक का सेवन कुछ दिनों के लिये न करें ।

17.    घी सदैव देशी गाय का ही खाना चाहिये । घी खाने के बाद ठंडा पेय न पीयें बल्कि गर्म पेय पियें । कमजोर हाजमा वालों को घी नहीं खाना चाहिये ।

18.    मीठे में लाल गुड़ खाना चाहिये और मिल की सफेद चीनी भी नहीं खानी चाहिये क्योंकि सफेद चीनी बनाने की प्रक्रिया में मिल में कई प्रकार के हानिकारक रसायनों का प्रयोग किया जाता है जो कि बाद में डायबिटीज की बीमारी पैदा करते हैें । सफेद चीनी के बजाये आप पीली चीनी या मिश्री का प्रयोग करें ।

19.    जिन लोगों को आंव की शिकायत हो उन्हें मीठाई  नहीं खानी चाहिये । मिठाई लार से पचती है इसलिये मिठाई को मुंह में देर तक रखें और लार से खूब मिक्स होने दें फिर गले से नीचे उतारें ।

20.    छः रस हैं कड़वा, कसैला, तीखा, नमकीन, खट्टा और मीठा । इन छः रसों को अपने भोजन में शामिल करें । सभी रस का स्वाद लेना चाहिये ।

21.    प्याज और लहसुन को औषधि के रूप में ही खाना चाहिये । जिन्हें गैस, अपच की शिकायत है उन्हें प्याज नहीं खानी चाहिये ।

22.    लाल मिर्च की जगह हरी मिर्च का प्रयोग करें । लाल मिर्च के बीजों को नहीं खाना चाहिये ये आंतों व पेट में चिपक कर अल्सर पैदा करती हैं । जब शरीर में इनफैक्शन हो, दस्त, स्किन डिसीज में लाल मिर्च नहीं खानी चाहिये ।

23.    खटाई का सेवन पुरूषों को नहीं करना चाहिये, इससे स्तंभन में समस्या आती है । तेज खटाई (अचार, इमली, केरी) की जगह हल्की खटाई (नींबू, आंवला, टमाटर, छांछ) का सेवन करना चाहिये ।


24.    वर्षा ऋतु में खटाई नहीं खानी चाहिये । जब शरीर में सूजन, दर्द, ज्वर, या संक्रमण हो तब खटाई नहीं खानी चाहिये ।

25.    फिªज का एक दम चिल्ड पानी नहीं पीना चाहिये बल्कि इसमें थोड़ा नॉर्मल पानी मिक्स करके पीना चाहिये ।

26.    सॉफ्ट ड्रिंक का सेवन करने से बचें । एक लीटर की बोतल में लगभग 100 ग्राम चीनी मिक्स की जाती है । चीनी की इतनी बड़ी मात्रा शरीर में जाते ही लीवर इसे फैट में बदल देता है । इसके बाद चीनी शरीर के दूसरे महत्वपूर्ण अंगों पर अपना असर दिखाती है । यह बाद में डायबिटीज पैदा कर देती है । इसलिये बाजार मंे मिलने वाले सभी सॉफ्ट ड्रिंक्स से परहेज करें ।




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