Saturday 25 June 2016

खाना खाने के नियम

सखियों, भोजन करने के अपने नियम कानून होते हैं लेकिन जब से फास्ट फूड का जमाना आया है, क्या खाना है, कैसे खाना है, कब खाना है, कितना खाना है, इस बारे में लोगों को कुछ खास पता नहीं है । वे खीर के साथ दही भी खा लेते है, रात के खाने के बाद आइसक्रीम का भी लुत्फ उठा लेते हैं, घी और शहद का मिश्रण भी इस्तेमाल कर लेते हैं आदि आदि ।

भोजन सिर्फ पेट भरने के लिये ही नहीं खाना चाहिये । जो मिले उसी से काम चल गया के बजाये संतुलित और पोषण से भरपूर भोजन करना चाहिये । भोजन में स्वाद होना चाहिये । इसके अलावा भोजन में हमें छः रसों को शामिल करना चाहिये । सिर्फ एक या दो रस का सेवन बीमारी देगा ।

खाना खाने के कुछ सर्वमान्य नियम ये हैं:

1.    कभी अपनी पाचनतंत्र की सीमा का उल्लंघन नहीं करना चाहिये । हर व्यक्ति के भोजन करने की अपनी सीमा होती है । अगर आप उससे कम भोजन करेंगे तब भी नुकसान होगा और उससे ज्यादा करेंगे तब भी, क्योंकि भोजन करने के बाद भोजन पचने में और उससे रस बनने में समय लगता है । अगर आप थोड़ी थोड़ी देर पर कुछ न कुछ खाते रहेंगे तब भोजन पचने की वह प्रणाली/प्रक्रिया बाधित होगी और बदले में फैटी लीवर, मोटापा या गैस, अजीर्ण, एसिडिटी की समस्या सामने आयेगी ।

2.    अगर आपकी भूख चार रोटी की है तब आप तीन रोटी ही खायें । भर पेट या ठंूस कर खाना खाने से पाचनतंत्र पर भार पड़ता है और खाना ठीक से नहीं पच पाता और यहीं से पेट की बीमारियों की शुरूआत होती है ।

3.    भोजन करने की छः क्रियायें होती हैं । काटना, चबाना, चाटना, चूसना, पीना, सुड़कना । कोशिश यह करनी चाहिये कि भोजन के तत्व ऐसे हों कि ये सारी क्रियायें उसमें शामिल हो सकें ।

4.    खाना खूब चबा चबा कर खाना चाहिये । देर तक चबाने से भोजन पिसता है और लार मिक्स होते ही पाचन की पहली क्रिया शुरू हो जाती है । इसके अलावा देर तक चबाने से जिव्हा को स्वाद की पूर्ति होती है और वह तृप्त होती है ।

5.    बीच बीच में व्रत या उपवास करके हम अपने पाचनतंत्र को आराम दे सकते हैं जिससे की पेट की मशीन रिलेक्स हो कर फिर ठीक से काम करने लगे ।

6.    भोजन हमेशा मौसम के अनुसार करना चाहिये । मौसमी फल, सलाद, सब्जियों को ही भोजन में शामिल करना चाहिये । बेमौसम के फल, सलाद और सब्जियों में केमिकल प्रिजरवेटिव्स मिले रहने की संभावना होती है जो की शरीर में जाकर दूसरे रोगों की शुरूआत करते हैं।

7.    सब्जी, फल या सलाद खरीदने का नियम यह है कि हमेशा खरीदतें वक्त देखें कि उनमें से प्राकृतिक सुगंध आ रही है, वे सड़े गले नहीं हैं, कोयी दुर्गंध तो नहीं आ रही है। उनका आकार प्रकार, रंग रूप वैसा ही है जैसा होना चाहिये ।

8.    बेमोसम के फल या सब्जी नहीं खानी चाहिये । अगर आपको लगता है कि इन पर पेस्टिसाइड का छिड़काव किया गया है तब सब्जियों, सलाद और फलों को कुछ देर तक पानी में डुबा कर रखे जिससे कि पेस्टिसाइड्स का प्रभाव कम हो जाये । काट कर देर से रखी हुयी सब्जी का प्रयोग न करें क्योंकि ऐसे सब्जियों के एंटीऑक्सीडेंट्स तेजी से नष्ट होने लगते हैं ।

9.    नॉनस्टिक कोटिंग भी केंसर का कारण बनती है इसलिये इनका प्रयोग न करें । प्रेशरकुकर में खाना गल जाता है, पकता नहीं है जिसकी वजह से एसिडिटी की दिक्कत शुरू हो जाती है ।

10.    दूध हमेशा देशी गाय का पीने का प्रयास करें और दही भैंस के दूध की अच्छी होती है। सावन के महीने में दूध का सेवन कम करना चाहिये बल्कि इसकी जगह छांछ या दही का सेवन करना चाहिये ।

11.    दूध का सेवन अंकुरित अन्न, ककड़ी, कद्दू, मीठे फल, नमकीन, तरबूज, खरबूज, जामुन, मूली, प्याज, लहसुन आदि के साथ नहीं करना चाहिये ।

12.    जाड़े के मौसम में दही का सेवन नहीं करना चाहिये । जिन्हें वात और पित्त की समस्या है उन्हें भी दही का सेवन नहीं करना चाहिये ।  खट्टी दही का सेवन कभी नहीं करना चाहिये । रायता या दही बड़ा या दही के साथ खीर नहीं खानी चाहिये । दही जमाने के लिये चांदी का बर्तन मिल जाये तो उत्तम होगा ।

13.    ठंडे भोजन के बाद गर्म चीज खा सकते हैं लेकिन गर्म चीज खाने के बाद ठंडी चीज नहीं खानी चाहिये ।

14.    आइसक्रीम का सेवन दोपहर या शाम को कर सकते हैं लेकिन रात का खाना खाने के बाद इसे नहीं खाना चाहिये ।

15.    सलाद अच्छी तरह धो कर खाना चाहिये । होटल या पार्टी में सलाद नहीं खाना चाहिये क्योंकि यहॉं पर सलाद कई घंटे पहले काट कर रखा गया होता है ।

16.    सफेद नमक की जगह पीला नमक खायें । नमक पका हुआ होना चाहिये । अगर सलाद पर नमक डालना हो तब काला नमक,  सैंधा नमक या भुना नमक ही डालें । अगर स्किन प्रॉबलम है तब नमक का सेवन कुछ दिनों के लिये न करें ।

17.    घी सदैव देशी गाय का ही खाना चाहिये । घी खाने के बाद ठंडा पेय न पीयें बल्कि गर्म पेय पियें । कमजोर हाजमा वालों को घी नहीं खाना चाहिये ।

18.    मीठे में लाल गुड़ खाना चाहिये और मिल की सफेद चीनी भी नहीं खानी चाहिये क्योंकि सफेद चीनी बनाने की प्रक्रिया में मिल में कई प्रकार के हानिकारक रसायनों का प्रयोग किया जाता है जो कि बाद में डायबिटीज की बीमारी पैदा करते हैें । सफेद चीनी के बजाये आप पीली चीनी या मिश्री का प्रयोग करें ।

19.    जिन लोगों को आंव की शिकायत हो उन्हें मीठाई  नहीं खानी चाहिये । मिठाई लार से पचती है इसलिये मिठाई को मुंह में देर तक रखें और लार से खूब मिक्स होने दें फिर गले से नीचे उतारें ।

20.    छः रस हैं कड़वा, कसैला, तीखा, नमकीन, खट्टा और मीठा । इन छः रसों को अपने भोजन में शामिल करें । सभी रस का स्वाद लेना चाहिये ।

21.    प्याज और लहसुन को औषधि के रूप में ही खाना चाहिये । जिन्हें गैस, अपच की शिकायत है उन्हें प्याज नहीं खानी चाहिये ।

22.    लाल मिर्च की जगह हरी मिर्च का प्रयोग करें । लाल मिर्च के बीजों को नहीं खाना चाहिये ये आंतों व पेट में चिपक कर अल्सर पैदा करती हैं । जब शरीर में इनफैक्शन हो, दस्त, स्किन डिसीज में लाल मिर्च नहीं खानी चाहिये ।

23.    खटाई का सेवन पुरूषों को नहीं करना चाहिये, इससे स्तंभन में समस्या आती है । तेज खटाई (अचार, इमली, केरी) की जगह हल्की खटाई (नींबू, आंवला, टमाटर, छांछ) का सेवन करना चाहिये ।


24.    वर्षा ऋतु में खटाई नहीं खानी चाहिये । जब शरीर में सूजन, दर्द, ज्वर, या संक्रमण हो तब खटाई नहीं खानी चाहिये ।

25.    फिªज का एक दम चिल्ड पानी नहीं पीना चाहिये बल्कि इसमें थोड़ा नॉर्मल पानी मिक्स करके पीना चाहिये ।

26.    सॉफ्ट ड्रिंक का सेवन करने से बचें । एक लीटर की बोतल में लगभग 100 ग्राम चीनी मिक्स की जाती है । चीनी की इतनी बड़ी मात्रा शरीर में जाते ही लीवर इसे फैट में बदल देता है । इसके बाद चीनी शरीर के दूसरे महत्वपूर्ण अंगों पर अपना असर दिखाती है । यह बाद में डायबिटीज पैदा कर देती है । इसलिये बाजार मंे मिलने वाले सभी सॉफ्ट ड्रिंक्स से परहेज करें ।




Friday 24 June 2016

सूप पीने के फायदे

सखियों, अधिक्तर लोग सोचते हैं कि सूप मोटापे से परेशान व्यक्ति को वजन कम करने के लिये पीना चाहिये या फिर जिनका पाचन तंत्र खराब है उन्हें ही सूप का सेवन करना चाहिये या फिर बीमार व्यक्ति को सूप पीना चाहिये क्योंकि वो गरिष्ठ भोजन अभी नहीं पचा पायेगा । ऐसा कुछ हद तक सही है पर यह सोचना भी गलत है कि सूप स्वस्थ व्यक्ति को नहीं पीना चाहिये । आईये हम आपको बताते हैं सूप पीने के फायदे ।

 

1.    सूप अधिक्तर अन्न का, दालों का और सब्जियों का बनाया जाता है । सूप जिस चीज का होता है उस के विशेष तत्व सूप में चले जाते हैं और शरीर को विशेष पोषक तत्वों से भरपूर कर देते हैं, जिससे शरीर को तुरंत ऊर्जा मिलती है और प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है । 

 

2.    अलग अलग सब्जियों, दालों, अन्न के सूप का स्वाद भिन्न भिन्न होता है । सबका स्वाद, गंध और पोषक तत्व भिन्न होते हैं । सुबह या शाम के नाश्ते में स्वाद बदलने के लिये आप अलग अलग प्रकार के सूप ट्राई कर सकते हैं । स्वाद बढ़ाने के लिये आप उसमें अलग से काली मिर्च, अदरक, नींबू, काला नमक, सैंधा नमक इत्यादि भी मिला सकते हैं ।

 

3.    अगर आपका पाचन तंत्र दुरूस्त नहीं है और भूख खुल कर नहीं लग रही है तब आप तरह तरह के सूप भोजन में ले सकते हैं । इनसे न सिर्फ आपकी भूख खुलेगी बल्कि खाने के प्रति आपकी रूचि भी बढ़ेगी ।

 

4.    अगर आपको शारीरिक कमजोरी महसूस होती हो तब भी आप अन्न और दालों के सूप का सेवन करके कमजोरी दूर भगा सकते हैं और ऊर्जा का स्तर बढ़ा सकते हैं ।

 

5.    अगर कोयी व्यक्ति डिहाईड्रेशन का शिकार हो जाये, लगातार उल्टी, दस्त से पस्त पड़ जाये तब सब्जियों और दालों का सूप न सिर्फ शरीर में पानी की कमी को पूरा करगा बल्कि शरीर के लिये आवश्यक प्रोटीन, विटमिन्स और मिनरल्स की भी पूर्ति सूप से होगी ।

 

6.    वजन कम करने में सूप का कोयी जवाब नहीं है । सूप से न सिर्फ आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति होती है बल्कि पेट भी भरा भरा रहता है ।

 

7.    सर्दी जुकाम से पीड़ित लोगों को सूप में अदरक, काली मिर्च मिला कर सेवन करने से सदी-जुकाम में आराम मिलता है ।

 

8.    सूप सुपाच्य होता है । ये पचने में आसान होता है इसलिये न सिर्फ पेट के रोगियों के लिये यह फायदेमंद है बल्कि बीमारी से उठे व्यक्ति के लिये भी यह फायदेमंद होता है जिसका पाचनतंत्र अभी सामान्य भोजन को पचाने लायक नहीं हुआ है । 

 

9.    टमाटर का सूप दर्द निवारक गोली की तरह भी काम करता है । वैज्ञानिकों ने टमाटर के बीज के इस विशेष गुण की खोज की है जो शरीर में खून का प्रवाह बढ़ा देता है और खून को जमने नहीं देता ।

 

10.    वेजीटेबल सूप बनाते हुये हमें ध्यान रखना चाहिये कि सब्जियों को मसले नहीं बल्कि उन्हें काट कर सीधे उबाल दें जिससे उनके अंदर के फाइबर नष्ट न हों । ऐसा करने से सूप का स्वाद भी बढ़ता है और सूप पीने के साथ साथ सब्जियों को खाया भी जा सकता है ।

 

11.    नॉनवेज सूप बनाते वक्त चिकन, मटन, मछली या अंडे के साथ सब्जियों का भी मिश्रण शामिल करना चाहिये । ऐसे करने से सूप की पौष्टिकता बढ़ेगी । 

 

12.    सब्जियॉं अलग अलग रंग की होती हैं और अलग अलग रंग के कारण ही इनमें पाये जाने वाले एंटीआक्सीडेन्ट्स भी अलग अलग होते हैं । इसलिये कोशिश करनी चाहिये कि सूप बनाते हुये अलग अलग रंग की सब्जियों का चुनाव करें ।


Wednesday 22 June 2016

सेहत का खजाना : शरीफा

सखियों,  मेरे दो पसंदीदा फल हैं । एक है फलों का राजा आम और दूसरा है गुणों और स्वाद से भरपूर शरीफा । शरीफा पौष्टिक तत्वों और सेहत से भरपूर एक स्वादिष्ट फल है । शरीफा मीठा फल है । इसमें कैलोरी की मात्रा अत्यधिक होती है इसलिये मधुमेह और मोटे लोगों को यह फल नहीं खाना चाहिये । यह आयरन, विटामिन सी, विटमिन बी काम्पलेक्स, मैंग्नीजियम, और एंटीआक्सीडेंट से भरपूर होता है । यह फल अल्सर, ऐसिडिटी और पित्त के रोग में फायदेमंद होता है । आईये, आप को जानकारी देते हैं सेहत और स्वास्थ से भरपूर शरीफा के बारे में ।

1.    अगर आप दुबले पतले हैं और वजन बढ़ाना चाहते हैं तो शरीफे को अपनी डायट में शामिल करें और कुछ दिनों के बाद इसका असर देखें ।


2.    शरीफे में एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन सी अधिक मात्रा में होता है जो की शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और बीमारियों को हमसे दूर रखता है ।


3.    शरीफा एनर्जी का जबरदस्त स्रोत है । इसमें मौजूद मिनरल्स, विटमिन्स तुरंत ऊर्जा देकर आपकी थकावट दूर करते हैं और मांसपेशियों को भी पुष्ट करते हैं ।


4.    शरीेफे में ‘विटमिन बी काम्पलेक्स’ भरपूर होता है । जो कि हमारे मन पर असर करता है । शरीफा मूड ऑन कर देता है । इसको खाने से मानसिक शांति मिलती है और निराशा के बादल छट जाते हैं । ठीक ऐसा ही प्रभाव डार्क चॉकलेट का भी होता है ।


5.    दांतों और मसूढ़ों के स्वास्थ्य के लिये भी शरीफा बहुत लाभकारी है । दांतों और मसूढ़ों की मजबूती और दर्दनिवारण के लिये इसका सेवन करना चाहिये ।


6.    यह आयरन का भी बड़ा बढ़िया स्रोत होता है । जिसे एनीमिया या कम हीमोग्लोबिन की शिकायत हो उसके लिये शरीफा रामबाण औषधि है । इसके सेवन से खून की कमी दूर होती है और शरीर मंे आयरन की मात्रा संतुलित होती है ।


7.    शरीफा गठिया रोग में भी लाभकारी होता है । इसमें मौजूद मैंग्नीजियम जोड़ों में जमा एसिड को साफ करता है शरीर में पानी की मौजूदगी को संतुलित करता है ।


8.    शरीफे में मौजूद सोडियम और पोटेशियम ब्लड प्रेशर को संतुलित रखते हैं और दिल की बीमारियों से भी हमें दूर रखता है ।


9.    शरीफा शरीर में बढ़ी हुयी शुगर को भी नियंत्रित करता है । इसके अंदर बढ़ी हुयी शर्करा को सोख लेना का गुण होता है । यह शरीर में ग्लूकोज का स्तर सामान्य बनाये रखता है ।


10.    शरीफा के बीजों को बकरी के दूध के साथ पीस कर सिर पर लगाने से नये काले बाल एक बार फिर आने लगते हैं ।


11.    शरीफा के बीजो को पीस कर रात में बालों में लगा लें और फिर किसी कपड़े से सिर को बांध लें ताकि यह लेप आंखों तक न पहुंचे । सवेरे सिर को धो लें । यह लेप जुओं को खत्म कर देती है ।


12.    शरीफे की पत्तियों को पीस कर फोड़ों पर लगाने से फोड़े सूख जाते हैं ।


 

Monday 20 June 2016

दूध की पौष्टिकता और स्वाद ऐसे बढ़ायें

अलग अलग जानवरों के दूध के अलग अलग गुण होते हैं । सर्वोत्तम दूध देशी गाय का होता है लेकिन आज शहरों में हमें या तो भैंस का दूध आसानी से उपलब्ध होता है या फिर विदेशी नस्ल की गायों का । दुकानों पर मिलने वाले पैक्ड दूध में किस किस जानवर का दूध मिलाया गया है इसकी गारंटी तो खुद वे कंपनियॉं भी नहीं दे सकतीं जो दूध सप्लाई करती हैं क्योंकि वे भी दूध कलक्ट करने दूर गांवों में अपने टैंकर भेजती हैं । खैर । आज की इस भाग दौड़ की जिंदगी में शुद्ध दूध मिल जाये वही बहुत है ।


दूध पौष्टिक तत्वों से भरपूर होता है । दूध पोटेशियम, कैल्शियम, फॉसफोरस, सोडियम, मेग्नीजियम, विटमिन ए, विटमिन डी, विटमिन बी 12 आदि से भरपूर होता है । दूध ताकत से भरपूर होता है यह बात बच्चा बच्चा जानता है पर आजकल के बच्चे ही दूध पीने में सबसे अधिक नखरे करते हैं । किसी को इसका स्वाद पसंद नहीं तो किसी को गंध पसंद नहीं । दूध पीना ऐसे बच्चों के लिये बड़ा ही बोरिंग काम होता है । मम्मी पापा के लिये बच्चे को दूध पिलाना किसी  जंग जीत लेने से कम नहीं होता है ।


आईये, आज आपको बताते हैं दूध की पौष्टिकता और स्वाद बढ़ाने वाले कुछ घरेलु तरीके । इन्हें अपनाने के बाद न सिर्फ दूध की पौष्टिकता ही बढ़ेगी बल्कि स्वाद भी और बच्चे नखरे छोड़ कर खुद ही दूध तैयार करके पीना शुरू कर देंगे ।


1.    दूध में इलायची पीस कर मिलाने से न सिर्फ इसका ज़ायका और गंध बदल जायेगा  बल्कि यह आयरन, मैंगनीज और कैल्शियम से भी भरपूर हो जायेगा ।


2.    भीगे हुये 2 बादाम के छिलके उतार कर मिक्सर में 1 गिलास दूध और चीनी के साथ फेंट लें । इससे भी दूध के स्वाद में अंतर आ जाता है । ये दूध दिल, दिमाग, ऑंख और त्वाचा के लिये लाभदायक होता है।


3.    ठंडे दूध को  चॉकलेट सीरम या चॉकलेट पाउडर के साथ मिक्सी में फेंट लें । बच्चे इस चॉकलेट शेक की डिमांड आपसे बार बार करेंगे । चॉकलेट न सिर्फ दूध का स्वाद बढ़ाता है बल्कि यह दिमाग को भी सक्रिय करता है और साथ ही एंटीऑक्सिडेंट भी  होता है । यह झुर्रियॉं कम करता है और त्वचा को जवान बनाये रखता है ।


4.    दूध के पोषक तत्वों को और अधिक बढ़ाने के लिये हम दूध में फलों को भी मिक्स कर सकते हैं जैसे केला, आम, सेब, चीकू, स्ट्राबेरी, खजूर आदि । केला  और खजूर अपने आप में सुपर फूड होते हैं । अगर बच्चा कमजोर है, उसका वजन कम है तो आप केला शेक, खजूर शेक, एप्पल शेक दे सकते हैं । फलों के साथ दूध मिला देने पर दूध की शक्ति और पौष्टिकता कई गुना बढ़ जाती है । यह दूध मिनरल्स, विटमिन्स और प्रोटीन से भरपूर हो जाता है और शरीर को तुरंत ऊर्जा के साथ पोषक तत्वों का खजाना भी देता है ।


5.    गर्मियों में ठंडे दूध के साथ थोड़ा सा रूहआफजा मिला देने से दूध का स्वाद और रंगत दोनों बदल जाती है । यह दूध पीने से मन को सुकून और आराम मिलता है ।


6.    नारियल की गिरी को दूध और चीनी के साथ मिक्सर में फेंट लें  । ये दूध स्वाटिष्ट तो होता ही है साथ ही लिवर, त्वचा और जोड़ों के लिये भी अत्यंत लाभकारी होता है ।


7.    सर्दी की रातों में गरम दूध के साथ गुड़ और एक चुटकी हल्दी मिला देने से यह आयरन से भरपूर हो जाता है और साथ ही सर्दी, खांसी, जुकाम में फायदेमंद हो जाता है । हल्दी शरीर से खून की गंदगी को साफ करती है । वात, पित्त और कफ जनित रोगों को हल्दी नष्ट करती है । इसके अलावा हल्दी मधुमेह में भी फायदेमंद होती है । हल्दी त्वचा के रोग, सूजन, पीलिया, कुष्ठ और विष जनित रोगों में भी प्रभावकारी है ।


8.    दूध में केसर मिला देने से दूध का स्वाद और रंगत दोनो बदल जाती है । केसर मिला देने से त्वचा में निखार आता है, जाड़े में यह शरीर को गरम रखती है और साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी वृद्धि करती है ।




Friday 17 June 2016

भारत में महिलाओं को होने वाले विभिन्न प्रकार के कैंसर

      सखियों, आज भारत में कैंसर रोग  एक आम बीमारी का रूप लेता जा रहा है. पुरुषों में जहाँ मुंह का कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर, लंग्स कैंसर, पेट और लीवर के कैंसर आम हैं, वहीँ महिलाओ में सर्वाइकल कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर, ओवरी का कैंसर और गर्भाशय का कैंसर आम है. कैंसर एक लाइलाज बीमारी है लेकिन अगर शुरू में इसके बारे में पता चल जाता है तो बचाव काफी हद तक संभव भी है. आज हमारी दैनिक दिनचर्या, रहन सहन और खान पान इतना अव्यवस्थित हो गया है जिसकी वजह से आज हम तमाम तरह ही बीमारियों के शिकार बनते जा रहे हैं. अगर हम पश्चिमी सभ्यता की नकल न कर के भारतीय जीवन शैली को अपनाएं तो काफी हद तक बीमारियों से अपना बचाव कर सकते हैं और कैंसर जैसी लाईलाज बीमारी से दूर रह सकते हैं.

 

      सखियों, आज हम आपको महिलाओं में होने वाले चार मुख्य कैंसर, उनके कारण और बचाव की  जानकारी देने जा रहे हैं.  महिलाओं में होने वाले चार मुख्य कैंसर हैं : सर्वाईकल कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर, ओवरी का कैंसर और गर्भाशय का कैंसर.


  सर्वाईकल (गर्भाशय ग्रीवा) कैंसर :-


 


सर्वाईकल कैंसर को डेवलप होने में १० से १५ साल का लंबा समय लगता है इसलिए नियमित जांच से इससे बचा जा सकता है.


 


सर्वाईकल कैंसर का मुख्य कारक ह्यूमन पेपिलोमा वायरस है. ह्यूमन पेपिलोमा वायरस मुख्यतः असुरक्षित यौन संबंधों से फैलता है. इस रोग  के टीन एज के दौरान होने की सम्भावना अधिक होती है क्योंकि इस उम्र में एक अल्हड़पन और बेफिक्री होती है. टीनएज में सेक्सुअल एक्टिविटी अधिक होती है और  असुरक्षित यौन संबंधों के कारण इस वायरस के फैलने की संभवाना अधिक होती है.



एक से अधिक पार्टनर्स का  होना इस रोग को न्योता देने के सामान है. कंडोम के इस्तेमाल से इससे बचा जा सकता है पर नैतिक रूप से ईमानदार होना ही बेहतर होगा.

   

सर्वाईकल (गर्भाशय ग्रीवा) कैंसर अनुवांशिक रोग नहीं है लेकिन कई बार परेशानी का पता बहुत पहले पड़ने के बावजूद लोग इसका इलाज करने में देर कर देते हैं और बाद में समस्या बहुत बड़ी बन जाती है.


उन महिलाओं में जिन्हें बच्चा २० वर्ष से पहले हुआ है उनमे इस रोग के होने की संभावना अधिक होती है.

 


बचाव के तरीके : 



सावधानी ही सबसे अच्छा बचाव है.

 


सेक्सुअल एक्टिविटी २० साल के बाद से शुरू हो तो अच्छा है और साथ ही पहला बच्चा २३ - २४ साल के बाद हो तो ज्यादा सुरक्षित होगा.


 

पेप स्मेयर टेस्ट समय समय पर करवाते रहना चाहिए.

 

सेक्सुअल एक्टिव न होने वालों में इसका खतरा कम होता है.

 

अधिक बच्चे होने पर भी इसके चांसेस बढ़ जाते हैं.


  एड्स के रोगियों में इसके बढ़ने की दर अधिक होती है और यह एक साल में ही यह  लास्ट स्टेज में पहुँच जाता है.


  सेक्सुअल ट्रांसमिटेड डिसीज के कारण इसके चांसेस बढ़ जाते हैं.


 


३० साल के होने के बाद कुछ साल के अंतराल पर अपना चेक अप करवाते रहना चाहिए.


  अब इसका टीका अस्पतालों में उपलब्ध है और यह अधिक मंहगा भी नहीं होता  है.


  अगर सेक्स के बाद ब्लीडिंग हो, पानी जैसा स्राव निकलता है तब जांच करा लेनी चाहिए.


  ब्रेस्ट कैंसर (स्तन कैंसर)



भारत में महिलों को होने वाले कैंसर में ब्रेस्ट कैंसर एक मुख्य कैंसर है. अगर परिवार में पहले यह किसी को हो चुका है तब ऐसे में नियमित रूप से जांच करवाते रहना चाहिए. स्तनपान न कराना और बच्चे न होना भी इसका एक कारण होता है.


  जांच करने का तरीका


इसके बारे में पता करने के लिए स्वयं जांच करते रहें. ब्रेस्ट की जांच करने के लिए पहले किसी शीशे के सामने खड़े हो जाये और बाहर से सेंटर की तरफ या सेंटर से बाहर की तरफ बढते हुए चेक करें. किसी प्रकार की गांठ, त्वचा के रंग में बदलाव या किसी तरह का स्राव हो तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें.


 

अगर आपकी उम्र ३५ वर्ष से कम है तो सोनोग्राफी करवाएं और अगर उम्र ३५ से अधिक है तब मेमोग्राफी करवाना ही उचित होगा.

 

       ओवेरियन कैंसर

 


      यह कैंसर एक खतरनाक कैंसर है क्योंकि यह पकड़ में जल्दी नहीं आता है और जब पता चलता है तब तक कैंसर कई स्टेज आगे पहुँच चुका होता है.


 

इसका मुख्य लक्षण होता है खाना खाने के बाद बेचैनी, एसिडिटी, पेट के नीचे भारीपन.


पेट में सूजन आने पर ही यह पकड में आता है अन्यथा महिलायें पहले इसे पेट की गड़बड़ी या गैस समझ कर इस पर ध्यान नहीं देती.


  इस कैंसर के स्तनपान कराने वाली महिलाओं में होने के चांसेज कम होते हैं.


बर्थकण्ट्रोल पिल लंबे समय तक लेते रहने से भी इसका खतरा कम हो जाता है.


इस कैंसर से बचाव के लिए समय समय पर जांच कराते रहना चाहिए.

 


गर्भाशय का कैंसर (यूटराइन कैंसर)



       यह कैंसर अधिक्तर मोनोपोज के बाद ही नज़र आता है और जल्द ही पकड में आ जाता है.  इसके होने की चांसेज ५० वर्ष के बाद होते हैं.


 


      गर्भाशय का कैंसर होने का मुख्य कारण मोनोपोज के बाद शरीर में  प्रोजेस्टेरोन हार्मोन्स का बनना बंद होना और एस्ट्रोजन हार्मोन्स का निर्माण होते रहना होता है जिससे हार्मोन्स में असंतुलन हो जाता है और  गर्भाशय का कैंसर होने की सम्भावना बढ़ जाती है.


       बच्चे न होना भी एक कारण होता है.


      अधिक वजन होने पर भी इसका खतरा बढ़ जाता है.

      

      मुख्य लक्षण :


१.      मोनोपोज के बाद अचानक अत्यधिक खून निकलना.


२.      कमर और नीचे के हिस्सों में दर्द होना.


३.      भूख न लगना.


४.      थकान और उलटी.


 


बचाव के तरीके :


१.      अपना वजन अधिक न होने दे.


२.      नियमित व्यायाम करें और संतुलित भोजन करें.


३.      सोया को अपने भोजन में शामिल करें. यह कैंसर रोधी होता है.


४.      गर्भनिरोधक गोलियों से भी हार्मोन्स को संतुलित करने में सहायता मिलती है और कैंसर से बचाव होता है.



सखियों, एक उम्र के बाद हमें अपनी सेहत और शरीर का गंभीरता से ध्यान रखना चाहिये. अगर हम उपरोक्त जानकारी के अनुसार अपनी नियमित जांच करवाते रहे, साफ सफाई और  नैतिक मूल्यों का ख्याल रखें तो कैंसर जैसी बीमारी से बचाव संभव है. 

Monday 13 June 2016

नया जूता काटे तो क्या करें ?

स्टाइलिश चमचमाते जूते पहनना किसे अच्छा नहीं लगता है । हम शो-रूम में घंटों बैठ कर मनपसंद जूता ढूंढते हैं पर सारा मजा तब किरकिरा हो जाता है जब पता चले की वो खूबसूरत चमड़े का जूता दिखने में तो अच्छा है पर पहनने में पैर को जरा सा काटता है । ऐसे में मन मसोस कर रह जाना पड़ता है । ऐसी हालत में हमारे पास दो ही उपाय बचते हैं । या तो दुकान पर जाकर उस खूबसूरत जूते को बदल आयें या फिर उस जूते को इस्तेमाल में लें और उसका कटनहापन सहते रहें इस उम्मीद के साथ कि कुछ दिनों बाद इस्तेमाल करते करते जूता ढीला हो जायेगा और नहीं काटेगा ।


आईये आपको बताते हैं कुछ घरेलु नुस्खे ऐसे कटनहे जूतों के दांत खट्टे करने के  । शू बाईट से बचने के कुछ घरेलु नुस्खे निम्नलिखित हैं ।


1.    नया जूता अगर काट रहा है तो रात में जूते में उस जगह पेट्रोलियम जैली लगा दें जिस जगह वह पैर काट रहा है । इससे जूते का वह हिस्सा मुलायम हो जायेगा और वह पैर को नुकसान नहीं पहुंचायेगा ।


2.    नये जूते के अंदर के कुछ हिस्से अगर रफ या कड़े हैं तो रात में उन हिस्सों में अरंडी या नारियल का तेल लगा कर रख दें और सवेरे उस हिस्से को सूती कपड़े से साफ करके पहने । यह प्रक्रिया कुछ रातों तक लगातार दुहरायें ।


3.    कटनहे जूते को मुलायम करने के लिये आप जूते में कच्चे आलू की स्लाइसेस भी काट कर रख सकते हैं । इससे जूते का वह हिस्सा मुलायम हो जाता है ।


4.    चमड़े का जूता काटे तो उसे एक-दो दिन धूप दिखा दें । इससे चमड़ा लूज हो जाता है और फिर वह काटेगा नहीं ।


5.    अच्छी क्वालिटी के मोजे पहनने से भी शू बाइट से बचा जा सकता है ।


6.    एक दो दिन के लिये नये जूते में अखबार ठूंस कर खूब अंदर तक भर दें और धूप दिखायें । इससे भी जूता ढीला हो जाता है और पैर को तकलीफ देना बंद कर देता है ।


 

  शू बाईट के घरेलु इलाज


1.    शू बाईट वाली जगह पर अगर जलन हो रही हो तो थोड़ा वहॉं पर ठंडा तेल जैसा हिमगंगे, नवरतन तेल लगाने से जलन शांत हो जायेगी और घाव में भी आराम मिलेगा ।


2.    शू बाईट से हुये घाव पर आप बोरोलीन या एलोवीरा जेल भी लगा सकते हैं ।


3.    चावल को पीस कर थोड़ा पानी मिला कर उसका पेस्ट बना लें और शू बाईट वाली जगह पर 15-20 मिनट तक लगाये रहें । इससे आपको काफी आराम महसूस होगा ।


4.    तिल के तेल में थोड़ा शहद मिला कर शू बाईट की जगह पर लगायें इससे घाव जल्दी भर जायेगा और दर्द में भी आराम मिलेगा ।


5.    शुद्ध देशी घी एक बेहतरीन औषधि है । शू बाईट की जगह पर इसे लगाने से घाव जल्दी भर जाता है ।


6.    कपूर को पीस कर उसका पाउडर बना लें और इसमें कुछ बूंद नारियल तेल की मिलालें । इस पेस्ट को शू बाईट पर लगाने से घाव जल्दी भरता है और दर्द में भी आराम मिलता है ।


7.    एक बादाम का चूरा बना लें और उसमें कुछ बूंद ऑलिव ऑयल की मिला लें । इस पेस्ट को शू बाईट पर लगाने से भी राहत मिलती है ।


8.    शू बाईट या किसी भी प्रकार के घाव या जलन के स्थान पर शहद लगाने से तुरंत आराम मिलता है । शहद एक जादुई प्राकृतिक औषधि है ।


9.    अगर शू बाईट के कारण छाला पड़ गया है तो 8-10 नीम की पत्ती को पीस लें और इसमें 2 चुटकी पिसी हल्दी मिला कर पेस्ट तैयार कर लें । इस पेस्ट को छाले पर लगाने से छाला जल्दी सूख जाता है ।


10.    शू बाईट की जगह पर ऐलोवीरा जेल लगाने से घाव जल्दी सूखने लगता है और त्वचा भी मुलायम बनती है ।


Saturday 11 June 2016

सीखिये मेज़बानी के गुर

अच्छा मेजबान बनना भी एक कला होती है । यह कला सबको नहीं आती पर जो इस कला में निपुण होते हैं वो मेहमानों का दिल जीत लेते हैं और मेहमान अच्छी यादें लेकर वापस जाते हैं । मेहमान दो तरह के होते हैं । एक वो जो आपके ही शहर में रहते हैं । कुछ घंटों के लिये आपके पास आये हैं । और दूसरे वो जो कि किसी काम से दूसरे शहर से आये हैं और कुछ दिन आपके साथ गुजारेंगे ।


जो मेहमान कुछ घंटों के लिये आते हैं उन्हें तो आप आसानी से मैनेज कर सकते हैं । कुछ हल्के फुल्के पल उनके साथ बिताकर, कुछ स्नैक्स, चाय-नाश्ते का इंतजाम करके । एक दूसरे का हाल-चाल, कॉमन फ्रेंड्स और रिश्तेदारों का हाल-चाल जानने में ही कुछ घंटे कैसे बीत जाते हैं पता ही नहीं चलता । लेकिन यहॉं पर भी आपको एक अच्छे मेजबान के गुणों से भरपूर होना होता है । घर पर जरूरी चाय नाश्ते का सामान मौजूद रहे, ड्राइंगरूम साफ-सुथरा रहे, शोकेस के सामान इधर-उधर बिखरे न हों । मेहमानों के सामने ले जाने के लिये साफ सुथरी क्रॉकरी भी जरूरी है । इन सबके अलावा आपका हंसमुख और मिलनसार स्वभाव भी बहुत जरूरी है ।


लेकिन जो दूर के मेहमान होते हैं और किसी कामवश या घूमने फिरने के इरादे से आपके यहॉं आये हैं, ऐसे मेहमानों की खातिरदारी करना और उनका प्रबंध करना एक कला है ताकि जब वो वापस जायें तब अपने साथ मीठी यादें ले कर जायें । आईये, जानते हैं वो खास बातें जो दूर से आये मेहमानों की मेजबानी के लिये जरूरी होती हैं।


1.    एक बेहतर मेजबान बनने के लिये सबसे पहले आपको मानसिकरूप से तैयार होना चाहिये । आपको सहजता बनाये रखनी चाहिये । नार्मल रहिये । कोयी हड़बड़ाहट नहीं होनी चाहिये और न ही कोयी बनावट का भाव आना चाहिये । अगर आप बहुत ज्यादा फार्मेलिटी दिखायेंगे तो उनके मन में यह विचार आयेगा कि या तो उन्होंने आपको डिस्टर्ब किया है या आप कुछ बनावटी हो रहे हैं । इसलिये नार्मल रहने का प्रयास करे और उन्हें भी ईजी फील होने दें ।


2.    जब मेहमान दूर से आते हैं कई बार वो इसकी जानकारी आपको पहले ही दे चुके होते हैं । ऐसे में आपको तैयारी का वक्त मिल जाता है । आपको उनके लिये एक अलग कमरे की व्यवस्था करनी चाहिये । अलग कमरा न भी हो तो उनके लिये अलग बेड, बेड शीट्श, साबुन, शैंपू, स्लिपर्स वगैरह । इसके लिये घर में ये सामान एक्स्ट्रा होना चाहिये ताकि जरूरत पड़ने पर आपको कहीं दौड़ भाग न करनी पड़े ।


3.    अगर मेहमान बहुत दूर से आये हैं तो चाय-नाश्ते के बाद उनके आराम की व्यवस्था कर दें ताकि वो यात्रा की थाकान उतार सकें ।


4.    मेहमानों को घर में बेसिक चीजें कहॉं रखी है इसकी जानकारी दे देनी चाहिये ताकि कभी रात बिरात उन्हें जरूरत पड़े तो उन्हें आसानी से चीजें उपलब्ध हो जायें ।


5.    घर में बिस्किट, नमकीन, ब्रेड-मक्खन, ड्राईफ्रूट्स, फल, कोलड्रिंक्स वगैरह का भी इंतजाम करके रखिये । इसके अलावा आचार, पापड़, दही, सलाद वगैरह का इंतजाम हो तो खाने में वैराईटी हो जाती है ।


6.    मेहमानों के कमरे में कुछ अच्छे साहित्य व पत्र-पत्रिकाओं को भी रखें । एक बॉस्केट में कुछ फल व बिस्किुट रखे । अगर घर में इलेक्ट्रिक केटल हो तो मेहमानों के कमरे में रखे ताकि कभी रात में उन्हें चाय-कॉफी पीने का मन करे तो वे उसका आनंद ले सकें ।


7.    अगर मेहमान आपके शहर में घूमने फिरने के उद्देश्य से आये हैं तो आप उन्हें शहर के मुख्य टूरिस्ट स्पॉट्स की जानकारी दें । अलग अलग दिशाओं में जाने के लिये बसें और ट्रेने कहॉं से और कैसे मिलेंगी इसकी जानकारी दें ।


8.     एक- दो शाम उनके साथ घूमने निकलें या एक दिन ऑफिस से छुट्टी लेकर अपने शहर की खूबसूरत जगहें उन्हें दिखायें और अच्छे रेस्टोरेंट में उनके साथ डिनर करें ।


9.    कुछ अच्छे और आसान स्नैक्स की रेसिपीज़ आपको आनी चाहिये जैसे इडली-सांभर, ढोकला, छोला भटूरा, हलवे, पनीर के डिश वगैरह ।


10.    अगर आप घर में अकेले हैं और ऑफिस के लिये समय से आपको निकलना है तब आप मेहमान को घर की छोटी मोटी जिम्मेदारी भी सौंप सकते हैं और घर की जरूरत की चीजें कहॉं रखी है इसके बारे में भी उन्हें बतायें । इससे उन्हें घर जैसा फील होगा और यह जानकर अच्छा भी लगेगा की आपने उनपर भरोसा किया ।

11.    मेहमानों का रिटर्न टिकट अगर बुक नहीं हुआ है तो ऑनलाइन रेल टिकट बुक करने में उनकी मदद कर सकते हैं या फिर किसी ट्रेवल एजेंट की मदद भी ले सकते हैं ।


12.    मेहमान को जाते वक्त उन्हें स्टेशन तक छोड़ने जायें और रास्ते के लिये कुछ नाश्ते और खाने का इंतजाम करना न भूलें । भेंटस्वरूप कुछ गिफ्ट्स वगैरह भी आप दे सकते हैं ।


Thursday 9 June 2016

गुणकारी हरा धनिया

 हरे धनिये का प्रयोग सब्जियों का स्वाद और सुंदरता बढ़ाने के लिये हम अक्सर करते हैं । सूखे धनिया का प्रयोग मसालों में जमकर किया जाता है, लेकिन क्या हम धनिया के औषधीय गुणों से भी परिचित हैं । चाहे हरा धनिया हो या फिर सूखा धनिया दोनों के ही अपने औषधीय गुण हैं । अनजाने में ही सही पर इसका सेवन हमें कई बीमारियों से दूर रखता है । आईये आज जानते हैं धनिया किस किस बीमारी में काम आता है और हम घर बैठे अपने स्वास्थ्य की देखभाल में किस तरह से धनिया प्रयोग कर सकते हैं ।

1.    आंखों की देखभाल 


सूखा धनिया दो चम्मच 1 गिलास पानी पर उबाल लें । जब यह 1 कप बचा रह जाये तब इसे छान कर ठंडा कर के शीशी में रख लें । इस पानी की दो बूंद आंखों में टपकाने से ऑंखों की जलन,दर्द, पानी गिरना, बिलनी जैसी दिक्कतों में राहत मिलती है ।

2.    गर्भावस्था में मितली आना  


गर्भावस्था के शुरूआती महीनों में गर्भवती महिला को उल्टियॉं आती हैं । ऐसे समय में आधे चम्मच सूखे धनिया में 1 चम्मच मिश्री मिला कर काढ़ा बना कर थोडी थोड़ी देर में पिलाना चाहिये । इससे जी मिचलाना, उल्टियों मे राहत मिलती है ।

3.    स्वस्थ पाचन क्रिया 


हरे धनिये की पत्तियों के साथ, लहसुन, अदरक, हरा मिर्च, नींबू का रस, पुदीना, नमक, व इमली मिला कर कूट कर इसकी चटनी बना लें । मिक्सर का प्रयोग न करें नही ंतो वह बिल्कुल ही पीस देगा और चटनी पानी पानी हो जायेगी । इस चटनी से पाचन क्रिया सही रहती है ।

4.    पित्त बढ़ने  से जी मिचलाना 


पित्त बढ़ने से अगर जी मिचलाता हो हरा धनिया पीसकर दो चम्मच रस पिलाने से जी मिचलाना कम हो जाता है ।

5.    त्वचा पर पित्ती निकलना


कभी कभी अलर्जी या अत्यधिक गर्मी के कारण त्वचा पर पित्ती निकल आती है । इनमें खुजली भी खूब होती है और मरीज खुजला खुजला कर परेशान हो जाता है और त्वचा लाल पड़ जाती है । ऐसे में हरे धनिया के रस में शहद और रोगन गुल को बराबर मात्रा में मिला कर लेप करने से राहत मिलती है ।

6.    लू लगना 


अक्सर मई जून की गर्मी में गर्म हवा से लू लग जाती है । ऐसे में हरा धनिया और पुदीना पीस कर एक गिलास पानी में एक चम्मच चीनी और काला नमक मिला कर पीने से आराम मिलता है । 


7.    डाइबिटीज में लाभ


अगर शुगर लेवल बढ़ा हुआ है तो सवेरे सवेरे खाली पेट एक गड्डी हरा धनिया मिक्सर में पीस कर एक गिलास पानी में मिला कर छान लें और पी लें । कुछ दिनों के भीतर शुगर लेवल नारमल हो जाता है ।

8.    मासिक धर्म में अत्यधिक स्राव


मासिक धर्म में अत्यधिक स्राव होने पर 2 चम्मच सूखा धनिया आधा लीटर पानी में उबालें । जब यह एक गिलास रह जाये तब इसमें 1 चम्मच मिश्री मिला कर ठंडा कर के छान कर पी लें । यह प्रयोग कुछ दिनों तक करने पर राहत मिलती है ।

9.    भोजन में अरूचि 


खाना पचता न हो, पेट भर खाना न खा पाते हों, खाना देख कर खाने का मन न करें । ऐसे में सूखा धनिया, छोटी इलाइयची, काली मिर्च तीनों 20-20 गा्रम  लेकर पीस कर शीशी मंे रख लें । 1/4 चम्मच यह चूर्ण 1 चम्मच शहद के साथ सुबह शाम लेने से पेट खुलता है और पाचन क्रिया भी ठीक होने लगती है ।

10.    गैस अधिक बनना

अधिक गैस बनने पर 2 चम्मच सूखा धनिया आधा लीटर पानी में उबालें । जब यह एक गिलास रह जाये तब इसे छान कर तीन भाग कर लें और सुबह दोपहर शाम दिन में तीन बार इसका सेवन करें । गैस में  आराम मिल जाता है ।

11. श्वास रोग में


अगर रोगी को खांसी हो, दमा हो, सांस फूलती हो तब ऐसे में सूखा धनिया पीस कर मिश्री मिला कर रख लें । इसे चावल के मांड के साथ आधा चम्मच मिला कर रोगी को खिलायें । कुछ दिनों तक इसका प्रयोग करने से श्वास रोग में आराम मिलने लगता है ।
 
12.    पेशाब में जलन


पेशाब में जलन होने पर आधा चम्मच सूखा धनिया आधे चम्मच त्रिफला के साथ एक गिलास पानी में भिगो कर रात को रख दें । सवेरे खाली पेट इस पानी को छान कर पीने से पेशाब की जलन शांत हो जाती है ।