Friday, 17 June 2016

भारत में महिलाओं को होने वाले विभिन्न प्रकार के कैंसर

      सखियों, आज भारत में कैंसर रोग  एक आम बीमारी का रूप लेता जा रहा है. पुरुषों में जहाँ मुंह का कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर, लंग्स कैंसर, पेट और लीवर के कैंसर आम हैं, वहीँ महिलाओ में सर्वाइकल कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर, ओवरी का कैंसर और गर्भाशय का कैंसर आम है. कैंसर एक लाइलाज बीमारी है लेकिन अगर शुरू में इसके बारे में पता चल जाता है तो बचाव काफी हद तक संभव भी है. आज हमारी दैनिक दिनचर्या, रहन सहन और खान पान इतना अव्यवस्थित हो गया है जिसकी वजह से आज हम तमाम तरह ही बीमारियों के शिकार बनते जा रहे हैं. अगर हम पश्चिमी सभ्यता की नकल न कर के भारतीय जीवन शैली को अपनाएं तो काफी हद तक बीमारियों से अपना बचाव कर सकते हैं और कैंसर जैसी लाईलाज बीमारी से दूर रह सकते हैं.

 

      सखियों, आज हम आपको महिलाओं में होने वाले चार मुख्य कैंसर, उनके कारण और बचाव की  जानकारी देने जा रहे हैं.  महिलाओं में होने वाले चार मुख्य कैंसर हैं : सर्वाईकल कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर, ओवरी का कैंसर और गर्भाशय का कैंसर.


  सर्वाईकल (गर्भाशय ग्रीवा) कैंसर :-


 


सर्वाईकल कैंसर को डेवलप होने में १० से १५ साल का लंबा समय लगता है इसलिए नियमित जांच से इससे बचा जा सकता है.


 


सर्वाईकल कैंसर का मुख्य कारक ह्यूमन पेपिलोमा वायरस है. ह्यूमन पेपिलोमा वायरस मुख्यतः असुरक्षित यौन संबंधों से फैलता है. इस रोग  के टीन एज के दौरान होने की सम्भावना अधिक होती है क्योंकि इस उम्र में एक अल्हड़पन और बेफिक्री होती है. टीनएज में सेक्सुअल एक्टिविटी अधिक होती है और  असुरक्षित यौन संबंधों के कारण इस वायरस के फैलने की संभवाना अधिक होती है.



एक से अधिक पार्टनर्स का  होना इस रोग को न्योता देने के सामान है. कंडोम के इस्तेमाल से इससे बचा जा सकता है पर नैतिक रूप से ईमानदार होना ही बेहतर होगा.

   

सर्वाईकल (गर्भाशय ग्रीवा) कैंसर अनुवांशिक रोग नहीं है लेकिन कई बार परेशानी का पता बहुत पहले पड़ने के बावजूद लोग इसका इलाज करने में देर कर देते हैं और बाद में समस्या बहुत बड़ी बन जाती है.


उन महिलाओं में जिन्हें बच्चा २० वर्ष से पहले हुआ है उनमे इस रोग के होने की संभावना अधिक होती है.

 


बचाव के तरीके : 



सावधानी ही सबसे अच्छा बचाव है.

 


सेक्सुअल एक्टिविटी २० साल के बाद से शुरू हो तो अच्छा है और साथ ही पहला बच्चा २३ - २४ साल के बाद हो तो ज्यादा सुरक्षित होगा.


 

पेप स्मेयर टेस्ट समय समय पर करवाते रहना चाहिए.

 

सेक्सुअल एक्टिव न होने वालों में इसका खतरा कम होता है.

 

अधिक बच्चे होने पर भी इसके चांसेस बढ़ जाते हैं.


  एड्स के रोगियों में इसके बढ़ने की दर अधिक होती है और यह एक साल में ही यह  लास्ट स्टेज में पहुँच जाता है.


  सेक्सुअल ट्रांसमिटेड डिसीज के कारण इसके चांसेस बढ़ जाते हैं.


 


३० साल के होने के बाद कुछ साल के अंतराल पर अपना चेक अप करवाते रहना चाहिए.


  अब इसका टीका अस्पतालों में उपलब्ध है और यह अधिक मंहगा भी नहीं होता  है.


  अगर सेक्स के बाद ब्लीडिंग हो, पानी जैसा स्राव निकलता है तब जांच करा लेनी चाहिए.


  ब्रेस्ट कैंसर (स्तन कैंसर)



भारत में महिलों को होने वाले कैंसर में ब्रेस्ट कैंसर एक मुख्य कैंसर है. अगर परिवार में पहले यह किसी को हो चुका है तब ऐसे में नियमित रूप से जांच करवाते रहना चाहिए. स्तनपान न कराना और बच्चे न होना भी इसका एक कारण होता है.


  जांच करने का तरीका


इसके बारे में पता करने के लिए स्वयं जांच करते रहें. ब्रेस्ट की जांच करने के लिए पहले किसी शीशे के सामने खड़े हो जाये और बाहर से सेंटर की तरफ या सेंटर से बाहर की तरफ बढते हुए चेक करें. किसी प्रकार की गांठ, त्वचा के रंग में बदलाव या किसी तरह का स्राव हो तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें.


 

अगर आपकी उम्र ३५ वर्ष से कम है तो सोनोग्राफी करवाएं और अगर उम्र ३५ से अधिक है तब मेमोग्राफी करवाना ही उचित होगा.

 

       ओवेरियन कैंसर

 


      यह कैंसर एक खतरनाक कैंसर है क्योंकि यह पकड़ में जल्दी नहीं आता है और जब पता चलता है तब तक कैंसर कई स्टेज आगे पहुँच चुका होता है.


 

इसका मुख्य लक्षण होता है खाना खाने के बाद बेचैनी, एसिडिटी, पेट के नीचे भारीपन.


पेट में सूजन आने पर ही यह पकड में आता है अन्यथा महिलायें पहले इसे पेट की गड़बड़ी या गैस समझ कर इस पर ध्यान नहीं देती.


  इस कैंसर के स्तनपान कराने वाली महिलाओं में होने के चांसेज कम होते हैं.


बर्थकण्ट्रोल पिल लंबे समय तक लेते रहने से भी इसका खतरा कम हो जाता है.


इस कैंसर से बचाव के लिए समय समय पर जांच कराते रहना चाहिए.

 


गर्भाशय का कैंसर (यूटराइन कैंसर)



       यह कैंसर अधिक्तर मोनोपोज के बाद ही नज़र आता है और जल्द ही पकड में आ जाता है.  इसके होने की चांसेज ५० वर्ष के बाद होते हैं.


 


      गर्भाशय का कैंसर होने का मुख्य कारण मोनोपोज के बाद शरीर में  प्रोजेस्टेरोन हार्मोन्स का बनना बंद होना और एस्ट्रोजन हार्मोन्स का निर्माण होते रहना होता है जिससे हार्मोन्स में असंतुलन हो जाता है और  गर्भाशय का कैंसर होने की सम्भावना बढ़ जाती है.


       बच्चे न होना भी एक कारण होता है.


      अधिक वजन होने पर भी इसका खतरा बढ़ जाता है.

      

      मुख्य लक्षण :


१.      मोनोपोज के बाद अचानक अत्यधिक खून निकलना.


२.      कमर और नीचे के हिस्सों में दर्द होना.


३.      भूख न लगना.


४.      थकान और उलटी.


 


बचाव के तरीके :


१.      अपना वजन अधिक न होने दे.


२.      नियमित व्यायाम करें और संतुलित भोजन करें.


३.      सोया को अपने भोजन में शामिल करें. यह कैंसर रोधी होता है.


४.      गर्भनिरोधक गोलियों से भी हार्मोन्स को संतुलित करने में सहायता मिलती है और कैंसर से बचाव होता है.



सखियों, एक उम्र के बाद हमें अपनी सेहत और शरीर का गंभीरता से ध्यान रखना चाहिये. अगर हम उपरोक्त जानकारी के अनुसार अपनी नियमित जांच करवाते रहे, साफ सफाई और  नैतिक मूल्यों का ख्याल रखें तो कैंसर जैसी बीमारी से बचाव संभव है. 

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