Thursday 26 May 2016

नई बहू कैसे एडजस्ट करे ससुराल में !

किसी भी नई नवेली बहू के लिये  ससुराल में नया जीवन शुरू करना अनोखा और रोमांच से भरपूर अनुभव होता है । पता नहीं कैसे लोग होंगे वहॉं ? कैसा स्वभाव होगा सबका ? कैसे सबको खुश कर पाउंगी ? पिता के घर की सोन चिरइया अचानक एक दिन बाद.... एक नये घर, नये परिवार में पहुंच जाती है, जहॉं उसे नई जिम्मेदारियों के साथ सभी के साथ समन्वय बना कर चलना है । वाकई यह एक बड़ी मानसिक और शारीरिक चुनौती होती है । सभी रिश्ते नातों से ऊपर पति परमेश्वर को समझना, उनकी रोज की जरूरतों और ससुराल की दिनचर्या में ढल जाना किसी भी नई नवेली दुल्हन के लिये आसान नहीं होता है । हमारी कई सखियॉं जो कि आने वाले समय में दुल्हन बनने वाली हैं या जिनकी अभी नई नई शादी हुयी है, उनके लिये इस लेख में कुछ मार्गदर्शक टिप्स हैं जो उन्हें ससुराल में  नया जीवन शुरू करने में उनकी मदद करेंगी  ।

ससुराल में पहले दिन से लेकर एक साल तक का समय आपको इस नये सफर को समझने के लिये काफी होता है । पहले दिन से ही आपको नये जीवन के नये अनुभव होंगे और आपका प्रशिक्षण भी शुरू हो जायेगा । 


१.   सबसे पहले तो आप मानसिक रूप से तैयार हो जाये कि अब यही आपका घर और परिवार है और यहीं आपको अपना जीवन हंसी खुशी बिताना है । 


२.   खुश रहें और ससुराल में मिले नये रिश्तों (ननद, भाभी, बुआ, सास, देवर, जेठानी आदि) का आनंद उठायें ।

३.  शुरूआत के कुछ दिन रस्मों रिवाज में बीत जाते हैं । मायके में आपको इनकी झलक मिली होगी परिवार में हुयी शादियों में । ये रस्मों रिवाज हमारे समाज और संस्कृती का हिस्सा हैं । खुशियों के पल भी इनमें छिपे रहते हैं ।


४.   नई बहू का पहला इम्तिहान किचन में होता है । इसके लियेे हर युवती ने पहले से कुछ न कुछ सोच रखा होता है । जो अपकी फेवरेट रेसिपी हो वहीं आजमाईये । 


५.  पति को समझने में काफी समय लग जाता है । उनकी आदतें, दिनचर्या, व्यवहार, पसंद-नापसंद, आदि । उनके साथ बातचीत में उनके बारे में धीरे धीरे सब कुछ जानना चाहिये और ससुराल और पति की दिनचर्या में ढलने का प्रयास करना चाहिये । जैसे सवेरे मॉर्निग वॉक या एक्सरसाइज का समय, ऑफिस की तैयारी, ब्रेकफास्ट, लंच तैयार करने में । इन सब कामों के लिये आपको अपनी दिनचर्या ससुराल के हिसाब एडजस्ट करनी चाहिये ।

कुछ दिनों के अंदर आपका ससुराल के सभी सदस्यों से परिचय हो चुका होगा । अब आपको आगे इस तरह से व्यवहार करना चाहिये ।


६.   पति को कोयी सुझाव देना हो तो विनम्रता के साथ देना चाहिये । 


७.   अगर कहीं घूमने का प्लान हो तो वापसी में घर वालों के लिये उनकी पसंद के हिसाब से तोेहफे ले जाने चाहिये । जरूरी नहीं है कि तोहफे मंहगे हों ।


८.  हर घर के अपने नियम कायदे होते हैं । नई बहू को उन्हीं नियमों के हिसाब से खुद को ढालना होता है ।


९.  सेक्स वैवाहिक जीवन का एक अहम हिस्सा होता है । इसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिये । अगर कोयी दिक्कत या हिचक है तो डॉक्टर या काउंसलर से मिलने में कोयी हर्ज नहीं है ।


१०.   विवाह के बाद पति के मम्मी पापा आपके भी मम्मी पापा होते हैं । इनके साथ आपको लंबा समय बिताना है इसलिये रिश्तों में मधुरता और प्रेम बनाये रखना चाहिये । अपनी तरफ से कोयी काम न करें जिससे उन्हें ठेस लगे । 


११.   घर के सदस्यों के बारे में बहुत जल्दी में कोयी नकारात्मक राय न कायम करें । 


१२.  घर के सभी सदस्यों की पसंद नापसंद, उनकी हॉबी, विचार और क्वालिटी जानने का प्रयास करें ।


१३.  एक डायरी में सबके जन्मदिन, एनिवर्सरी इत्यादी नोट करके रखें और उस दिन उन्हें विश जरूर करें ।


१४.  जब तक न मांगी जाये अपनी राय न दे । राय दे भी तो विनम्रता के साथ ।


१५.  अगर घर में आपको कोयी पसंद नहीं करता है या उससे आपकी नहीं बन रही है तो उससे अधिक न  उलझें  । याद रखिये क्रोधपुरुष को समाज स्वीकार कर लेता है पर क्रोधी महिला को वह नहीं पचा पाता  है.


१६.  सास और बहू का रिश्ता कहीं कहीं तनावपूर्ण हो जाता है । यहॉं जनरेशनगैप की भी दिक्कत होती है । ऐसा होने पर जरूरी नहीं है कि आप भी पलट कर जवाब देने लगें । अगर किसी बात पर या आपकी गलती की वजह से कोयी नाराज है तो माफी मांगकर रिश्तों को फिर सामान्य करने में कोई बुराई नहीं है ।


१७.   अगर किसी ने आपका अपमान कर दिया है तो बदला लेने की भावना न पनपने दें । माफ कर देने से इंसान बड़ा बनता है और दूसरे को भी देर सबेर अपनी गलती का एहसास होता है । 


१८. अगर किसी के साथ दिक्कत महसूस कर रही हैं तो अपने पति और सास ससुर को इसकी जानकारी दें ।


१९.  कोयी भी बड़ा निर्णय लेने के पहले सास ससुर और घर के बड़ों से राय सलाह जरूर करें ।


२०.  शादी के साल भर बाद आप बच्चा प्लान कर सकती हैं । एक साल बाद आप परिवार में एडजस्ट हो चुकी होंगी और नई जिम्मेदारियों के तैयार भी । फाइनेंशियल जरूरतों और उम्र को ध्यान में रखते हुये आप बच्चे की प्लानिंग कर सकती हैं । वैसे बच्चे 24 से 30 साल के बीच हो जाने चाहिये । ज्यादा उम्र के बाद बच्चा होने में चिकित्सकीय कठिनाईयॉं होती ती हैं । 

२१. अगर आप वर्किंगवोमेन हैं या आप और आपके पति किसी  दूसरे शहर में  रहते हैं और सास ससुर दूसरे शहर में तो एक-दो हफ्ते में मिलते रहना चाहिये और साथ भोजन करना चाहिये । वीकेंड पर घूमने का प्लान बना सकते हैं सबके साथ । इससे परिवार में खुशियॉं बनी रहती हैं और रिश्तों में गर्माहट रहती है ।


पुरूषों के बनिस्पत महिलाओं का वैवाहिक जीवन अधिक चुनौतियों और जटिलताओं से भरा होता है । महिला को अपना घर छोड़ कर ससुराल आना पड़ता है और ससुराल के हिसाब से एडजस्ट होना पड़ता है । ससुराल के सदस्यों का मान रखना पड़ता है और तमाम मानसिक और शारीरिक श्रम करना पड़ता है । 


कुछ चीजें नहीं करनी चाहिये नई बहू को ।


१.  पति के साथ बहुत कैजुअली नहीं बिहेव करना चाहिये । हालांकि पति पत्नी में प्रेम का रिश्ता होता है पर पति के अहं को ठेस लगे ऐसे भी नहीं होना चाहिये ।


२.  सभी को सम्मान व प्यार देने का प्रयास करें और पलट कर जवाब नहीं देना चाहिये ।


३. एक गलती जो अमूमन बहुएं करती है, वह है, ससुराल और मायके की तुलना बात बात पर नहीं करनी चाहिये ।


४.  अपने स्वास्थय और फिटनेस का भी ख्याल रखना चाहिये । 


५.   लड़ाईयॉं, नोकझोक, मनमुटाव कभी न कभी पति पत्नी के बीच होता ही है, लेकिन एक बात हमेशा याद रखियेगा । दुनिया में एक पति पत्नी का ही रिश्ता होता है जो सबसे लंबे समय तक चलता है । वक्त के साथ दूसरे रिश्ते नाते खत्म हो जाते हैं लेकिन पति पत्नी अंत तक साथ निभाते हैं । इसलिये इस रिश्ते में मधुरता हमेशा बनाये रखनी चाहिये । किसी के बहकावे में आकर इस रिश्ते को नष्ट करने के बारे में सोचना जीते जी जीवन नर्क बनाने के समान है । यकीन मानिये दूसरी शादियॉं करने वाले उतने सुखी नहीं होते हैं जितना पहली शादी को निभा ले जाने वाले । लड़ाईयॉं, नोकझोक भी जरूरी हैं लेकिन इनका मजा तब दुगना हो जाता है जब आप प्यार मनुहार से उन्हें थोड़ी ही देर में मना लें । इसमें कोयी हार जीत नहीं होती है । पति पत्नी के बीच कोयी इगो नहीं आना चाहिये । सिर्फ प्यार होना चाहिये । लड़ाईयों का सिर्फ 20 20 मैच खेलियेगा, वन डे खेलियेगा पर कभी भी लड़ाई, मनमुटाव को दूसरे दिन मत ले जाईयेगा । बहुत मजा आयेगा हार के बाद जीतने में और जीतने के बाद हारने में । पति पत्नी अर्धनारीश्वर होते हैं । एक दूजे के बिन अधूरे । कभी अधूरे न रहिये । संपूर्णता में ही शक्ति है और आनंद ।